SB Creations- Let Us Be Creative
वैज्ञानिक रात्रिभोज Welcom10

SB Creations में आपका हार्दिक स्वागत हैं. इस वेबसाइट पर मेरी कहानीया, कविताये, लेख, समाज से जुडी जानकारिया आदि हैं. इन्हें पढ़े एवं शेयर करे.

धन्यवाद...

सुमित मेनारिया

Join the forum, it's quick and easy

SB Creations- Let Us Be Creative
वैज्ञानिक रात्रिभोज Welcom10

SB Creations में आपका हार्दिक स्वागत हैं. इस वेबसाइट पर मेरी कहानीया, कविताये, लेख, समाज से जुडी जानकारिया आदि हैं. इन्हें पढ़े एवं शेयर करे.

धन्यवाद...

सुमित मेनारिया
SB Creations- Let Us Be Creative
Would you like to react to this message? Create an account in a few clicks or log in to continue.
⇧⇧CLICK HERE TO HIDE THIS BAR
Latest topics
» About SB Creation
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptySat Jan 21, 2017 2:25 pm by smenaria

» The Hell Lovers (स्वास्तिक)....A Love Against the God 【preview- हिंदी में】
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyFri Jun 17, 2016 2:29 pm by smenaria

» The Hell Lovers-Pictures
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Oct 03, 2013 5:36 pm by smenaria

» Swastik- The Story
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Oct 03, 2013 5:32 pm by smenaria

» Poelogues- Concepts
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Oct 03, 2013 5:28 pm by smenaria

» Introduction
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Oct 03, 2013 5:21 pm by smenaria

» सभ्य व्यक्ति
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Apr 18, 2013 7:18 pm by smenaria

» मुनि, बहूं & वृद्ध पुरुष
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Apr 18, 2013 7:09 pm by smenaria

» भिखारी नेता जी
वैज्ञानिक रात्रिभोज EmptyThu Apr 18, 2013 7:06 pm by smenaria

Social bookmarking

Social bookmarking reddit      

Bookmark and share the address of SB Creations- Let Us Be Creative on your social bookmarking website


वैज्ञानिक रात्रिभोज

Go down

वैज्ञानिक रात्रिभोज Empty वैज्ञानिक रात्रिभोज

Post by smenaria Thu Apr 18, 2013 6:54 pm

दुनिया के कुछ वैज्ञानिक रात्रिभोज पर आये हुए
थे, उसमें भारत और दुनिया के कुछ वैज्ञानिक और
भारतीय नौकरशाह थे। उस भोज में विज्ञान
की बात चली तो राकेट के बारे में चर्चा चल
पड़ी।
डॉ. कलाम नें उस चर्चा में भाग लेते हुए
कहा कि कुछ समय पूर्व मैं इंलैण्ड
गया था वहाँ एक बुलिच नामक स्थान है,
वहाँ रोटुण्डा नामक म्युजियम है। जिसमे पुराने
समय के युध्दों में जिन हथियारों का प्रयोग
किया गया था,
उसकी प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी। वहाँ पर
आधुनिक युग में छोड़े गये राकेट का खोल था।
और आधुनिक युग के इस राकेट का प्रथम प्रयोग
श्रीरंगपट्टनममें टीपूसुल्तान पर जब अंग्रेजों ने
आक्रमण किया था, उस युध्द में भारतीय सेना नें
किया था। इस प्रकार आधुनिक युग में प्रथम
राकेट का प्रक्षेपण भारत नें किया था। डॉ.
कलाम लिखते हैं कि, जैसे ही मैने यह बात
कही एक भारतीय नौकरशाह बोला मि. कलाम!
आप गलत कहते हैं, वास्तव में तो फ्रेंच लोगों ने वह
टेक्नोलॉजी टीपू सुल्तान को दी थी। डॉ.
कलाम नें कहा ऐसा नही है, आप गलत कहते हैं! मैं
आपको प्रमाण दूंगा। और सौभाग्य से वह प्रमाण
किसी भारतीय का नही था, नही तो कहते
कि तुम लोगों ने अपने मन से बना लिया है। एक
ब्रिटिश वैज्ञानिक सर बर्नाड लावेल ने एक
पुस्तक लिखी थी ''द ओरिजन एण्ड
इंटरनेशनलइकोनॉमिक्स ऑफ स्पेस एक्सप्लोरेशन''
उस पुस्तक में वह लिखते हैं कि
'उस युध्द में जब भारतीय सेना नें राकेट
का उपयोगकिया तो एक ब्रिटिश वैज्ञानिक
विलियम कांग्रेह्वा ने राकेट का खोल लेकर
अध्ययन किया और उसका नकल करके एक राकेट
बनाया। उसने उस राकेट को 1805 में तत्कालीन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री विलियम पिट के सामनें
प्रस्तुत किया और उन्होने इसे सेना में प्रयुक्त करनें
की अनुमति दी।'
जब नैपोलियन के खिलाफ ब्रिटेन का युध्द हुआ
तब ब्रिटिश सेना नें राकेट का प्रयोग किया।
अगर फ्रेंचो के पास वह टेक्नोलॉजी होती तो वे
भी सामने से राकेट छोड़ते, लेकिन उन्होने
नही छोड़ा।
जब यह पंक्तियाँ डॉ. कलामनें उस नौकरशाह
को पढ़ाई तो उसको पढ़कर भारतीय नौकरशाह
बोला, बड़ा दिलचस्प मामला है। डॉ. कलाम नें
कहा यह पढ़कर उसे गौरव का बोध नही हुआ
बल्कि उसको दिलचस्पी का मामला लगा|
यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि जिस ब्रिटिश
वैज्ञानिक नें नकल कर के राकेट बनाया उसे इंलैण्ड
का बच्चा-बच्चा जानता है।किन्तु जिन
भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत के लिए
पहला राकेट बनाया उन्हे कोई भारतीय
नही जानता। यह पूरी तरह से प्रदर्शित करता है
कि हम क्या पढ़ रहे हैं? और हमे
क्या पढ़ना चाहिए? जब तक प्रत्येक भारतीय
पश्चिम की श्रेष्ठता और अपनी हीनता के बोध
की प्रवृत्ति को नही त्यागता तब तक भारत
विश्व के सर्वोच्च शिखर पर नही पहुँच सकता। ऐसे
में हमे आवश्यकता है यह जानने की कि विज्ञान
के क्षेत्र में भारत नें इस विश्व को क्या दिया।
इसके बारे में बताने के लिए सर्वप्रथम भारत
की प्राचीन स्थिति को स्पष्ट करना आवष्यक
हो जाता है। क्यों कि प्राचीन भारत के
प्रतिमानों के नकारने के कारण हम वर्तमान में
पश्चिम की नकल करने पर मजबूर हैं। जबकि हमारे
प्राचीन ज्ञानों का नकल एवं शोध करके
पश्चिम, विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति के शिखर पर
विराजमान है।
(सहमत है तो शेयर करे )
जयतु संस्कृतं !
जयतु भारतं |
smenaria
smenaria
Admin

Posts : 72
Points : 192
Reputation : 0
Join date : 02.05.2012
Age : 33
Location : The Hell

http://menaria.me.cc

Back to top Go down

Back to top


 
Permissions in this forum:
You cannot reply to topics in this forum